नीचस्थ सूर्य अर्थात तुला राशि में सूर्य हो अर्थात कार्तिक जन्म हो तो किसी भी संक्रांति के दिन ,रविवार को हस्त नक्षत्र के योग में ,अपने जन्म नक्षत्र में ,क्रान्ति साम्य साम्य काल में, ग्रहण के दिन या किसी भी शुभ दिन में दोपहर ढलने तक कार्तिक शान्ति का विधान करें |
इसके लिए विधि विधान से संकल्प पूर्वक गणेश-गौरी ,नवग्रह,कलश आदि की स्थापना करें ,मुख्या कलश के साथ चार अन्य कलश भीस्थापित करें ,मुख्या कलश पर वरुण आदि आवाहित देवताओं के पूजन करें ,
पूर्व कलश पर ब्रह्मा जी , इस कलश में सफेद पुष्प, पंच्चामृत, सफेद वस्त्र
पश्चिम पर रूद्र, लाल वस्त्र, पंच्चामृत, बेल पत्र, चंन्दन
दक्षिण पर विष्णु पीला वस्त्र हल्दी, केसर, पीला पुष्प
और उत्तर कलश पर सूर्य देव का पूजन करें व् उनके मन्त्रों का जप करें ,लाल वस्त्र, कलश में देवदारू, केसर, खस, मनशिला, छाेटी इल्याची, आंक के पुष्प, लाल पुष्प आदि से
सन्नान करे |
तत्पश्चात हवन,सूर्य को अर्ध्य दें ,और अन्न-वस्त्र-फल का दान दें |इस विधि को संपन्न करवाने हेतु योग्य ब्राह्मण का सहयोग ले सकते हैं |
ग्रह पूजा के लिए उनकी धातु की मूर्ति ,चित्र ,यन्त्र,रोली से आकार अथवा सुपारी पर उनके आह्वान का प्रयोग किया जा सकताहै ,
जिसे बाद में अपने पूजा स्थान पर विराजमान करा दें ,ग्रहशान्ति के लिए रत्न का निर्णय योग्य ज्योतिषी के परामर्श के बाद ही करें ,,
यदि शान्ति करवा पाना समयानुसार संभव न हो तो सूर्य के मंत्र का जप ,स्तुति पाठ और यन्त्र पूजा करते रहें और समय अनुकूल होने पर शांति करवा लें |आदित्य स्ताेत्र का पाठ,
विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करे |
सूर्य गायत्री मंत्र – ॐ आदित्याय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्नः सूर्यः प्रचोदयात |
तंत्रोक्त रवि मंत्र – ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः |
ऊँ नमाे नारायण, ऊँ नमाे भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करे या कराये, तुलसी जी की पूजा करे, सूर्य काे जल दे ..राेली, गुड़, डालकर, लाल वस्तु रविवार व रवि की हाेरा सुर्य उदय हाे, लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, लाल फल, तांबे का पात्र,
शुक्ल पक्ष से रविवार से आरम्भ करे बहते पानी में गुड़ बहाये | लाल गाय काे गुड़ वाली राेटी खिलाये |