स्वप्नदोष क्या होता है, स्वप्नदोष के लक्षण, स्वप्नदोष के कारण, स्वप्नदोष का आयुर्वेदिक इलाज,
स्वप्रदोष क्या है:-
स्वप्नदोष एक ऐसी बीमारी है जिसमे आदमी सोयी हुई अवस्था में या नीन्द में
सपने में सम्भोग करता है या सम्भोग का दृश्य देखता है और वीर्यपात हो
जाता है उसके बाद नीन्द खुलती है. कई बार तो नीन्द भी नहीं खुलती है और
वीर्य निकल जाता है. रोग पुराना होने पर बिना सपने के भी वीर्य निकल जाता
है और नीन्द भी नहीं खुलती है. इसे स्वप्नमेह, स्वप्न प्रमेह, नाईट फॉल और
एहतेलाम जैसे नामों से जाना जाता है,
स्वप्न दोष के लक्षण:-
स्वप्नदोष का रोग पुराना होने पर कमज़ोरी, शारीरिक दुर्बलता, पाचन शक्ति
खराब हो जाती है, कमर दर्द, घुटनों में दर्द, आँखों में जलन, आँखों के सामने
अंधेरा छाना जैसी प्रॉब्लम होने लगती है. ऊँचाई पर चढ़ने से साँस फूलने
लगती है. पढ़ाई लिखाई और काम काज में मन नहीं लगता है. मेमोरी लॉस
हो जाता है, एकान्त प्रिय हो जाता है, लिंग छोटा, टेढ़ा और ढीला हो जाता है.
इसकी नीली नसें उभरी दिखती हैं. चेहरा पीला दीखता है, मूड खराब रहता
है, चिडचिडापन आ जाता है. वीर्य पानी की तरह पतला हो जाता है. नीन्द
कम आती है. तो इस तरह के कई सारे लक्षण पाए जाते हे स्वप्नदोष में.
स्वप्रदोष के कारण:-
स्वप्नदोष का प्रमुख कारन अतृप्त वासना यानि सेक्स की पूर्ति नहीं होना और
मानसिक दौर्बल्य या मानसिक कमज़ोरी है. गलत संगत, तामसिक भोजन,
हस्तमैथुन इत्यादि इसके प्रमुख कारण बताये गए हैं. पर आज के समय में
स्वप्नदोषान्तक चूर्ण -
शीतल चीनी चूर्ण ,
कलमी शोरा,
संगजराहत भस्म,
स्वर्णगैरिक,
स्फटिक भस्म,
देशी कपूर ,
प्रवाल पिष्टी,
गिलोय सत्व,
लेकर अच्छी तरह से मिक्स कर खरल कर रख लें. अब इसे डेढ़
से तीन ग्राम तक की मात्रा में सुबह-दोपहर-शाम ठण्डे पानी से लेना चाहिए. हर तरह से स्वप्नदोष के लिए बेजोड़ योग है. स्वप्नदोष के अलावा पेशाब की जलन, पेशाब में तकलीफ़ होना, सुज़ाक इत्यादि में भी अच्छा लाभ करता है.